Ad

new wheat variety

इन क्षेत्रों के किसान गेहूं की इन 15 किस्मों का उत्पादन करें

इन क्षेत्रों के किसान गेहूं की इन 15 किस्मों का उत्पादन करें

आईसीएआर ने भारत में गेहूं की 15 नवीन किस्मों की पहचान की है। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई किस्मों से देश में खाद्यान्न पैदावार में बढ़ोतरी होगी। साथ ही, किसानों के लिए गेहूं एवं जौ के लिए नई वैरायटी भी उपलब्ध होंगी। ICAR और कृषि से संबंधित बाकी संस्थान उन्नत किस्मों के साथ ही ज्यादा पैदावार के लिए निरंतर वैज्ञानिक खोजों की जानकारी किसानों तक पहुंचाते रहते हैं। इसी बीच वैज्ञानिकों ने गेंहूं की दो और जौ की एक नवीन किस्म की भी पहचान की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह नवीन पहचानी गई किस्में उत्तर-पश्चिमी मैदानी इलाकों में दो अधिक उपज देने वाली किस्में हैं। गेहूं की दो पहचानी गईं किस्मों के नाम HD3386 एवं WH1402 हैं। गेहूं की पहचानी गई नवीन किस्में आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल ने महाराणा प्रताप कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, राजस्थान की मदद से विकसित की है।

ये भी पढ़ें:
गेहूं की उन्नत किस्में, जानिए बुआई का समय, पैदावार क्षमता एवं अन्य विवरण

भिन्न भिन्न किस्में भिन्न भिन्न क्षेत्रों में बंपर उत्पादन देंगी

वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई यह किस्में भारत में खाद्यान्न के उत्पादन में तो वृद्धि करेंगी। साथ ही, किसानों के लिए गेहूं व जौ के लिए नई प्रजाति भी उपलब्ध होंगी। गेहूं की GW547 किस्म की समय पर बिजाई की गई सिंचित भूमि के लिए। साथ ही, CG1040 और DBW359 को असिंचित भूमि के लिए पहचाना गया है। बतादें, कि इसके साथ-साथ प्रायद्वीप के प्रतिबंधित सिंचाई क्षेत्रों के लिए DBW359, NW4028, UAS478, HI8840 एवं HI1665 गेहूं की किस्मों को पहचाना गया है। वैज्ञानिकों का कहना है, कि माल्ट जौ किस्म DWRB219 की पहचान भी उत्तर-पश्चिम के सिंचित इलाकों के लिए जानी गई है।

ये भी पढ़ें:
गेहूं की यह नई किस्म मोटापे और डायबिटीज के लिए रामबाण साबित होगी

भारत के विभिन्न इलाकों के शोधकर्ताओं ने भाग लिया

आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह के मुताबिक अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ सम्मलेन में भारत के विभिन्न इलाकों के शोधकर्ताओं ने भाग लिया था। आईसीएआर किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) एवं निजी बीज कंपनियों के साथ नवीन जारी किस्मों DBW370, DBW371, DBW372, DBW316 और DDW55 की लाइसेंस प्रक्रिया भी आरंभ हो गई हैं। संस्थान के द्वारा बीजों के लिए चलाया जा रहा पोर्टल भी 15 सितंबर से आरंभ हो चुका है।
किसान भाई गेंहू की इन तीन किस्मों की खेती से प्रति हेक्टेयर 70 से 75 क्विंटल तक उत्पादन उठा सकते हैं

किसान भाई गेंहू की इन तीन किस्मों की खेती से प्रति हेक्टेयर 70 से 75 क्विंटल तक उत्पादन उठा सकते हैं

गेहूं की इन तीन बेहतरीन प्रजातियाँ HD 3406 (उन्नत एचडी 2967), HD-3385, HI 1634 (पूसा अहिल्या) की खेती कर किसान भाई प्रति हेक्टेयर भूमि से 74 क्विंटल तक उत्पादन हांसिल कर सकते हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश होने के साथ-साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है। साथ ही, भारत में हरियाणा, यूपी, मध्य प्रदेश और पंजाब में गेहूं की खेती विशेष रूप से होती है। बहुत सारे राज्यों के कृषकों ने रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की बिजाई चालू भी कर दी है। यदि आप एक कृषक हैं और गेहूं की ऐसी प्रजातियों की खोज में हैं, जिनकी खेती से ज्यादा उत्पादन हांसिल किया जा सके। दरअसल, मेरीखेती के इस लेख में आज हम आपको गेहूं की उन तीन ऐसी प्रजातियों के विषय में जानकारी देंगे, जिनकी खेती कर आप प्रति हेक्टेयर 74 क्विंटल तक उत्पादन हांसिल कर सकते हैं। आपकी जानकारी के लिए बातादें, कि गेहूं की इन तीन उन्नत किस्मों HD 3406 ( उन्नत एचडी 2967), HD-3385, HI 1634 (पूसा अहिल्या) शम्मिलित हैं।

गेहूं की किस्म एचडी 3406 (उन्नत एचडी 2967)

गेहूं की शानदार किस्म एचडी 3406 (उन्नत एचडी 2967) का उत्पादन हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर संभाग को छोड़कर), पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी संभाग को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर के जम्मू और कठुआ जनपद, ऊना जिला और हिमाचल प्रदेश की पोंटा घाटी और उत्तराखंड के तराई वाले क्षेत्रों के किसान सुगमता से कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस किस्म की औसत उत्पादन क्षमता 54.73 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वहीं, अधिकतम उत्पादन क्षमता 64.05 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है। वहीं, गेहूं की उन्नत किस्म एचडी 3406 (उन्नत एचडी 2967) रतुआ रोग प्रतिरोधी किस्म है। दरअसल, यह पर्ण/भूरा रतुआ रोग और धारीदार/पीला रतुआ रोग के प्रति रोग प्रतिरोधी है। साथ ही, इसमें गेहूं के झुलसा रोग और करनाल बंट को लेकर प्रतिरोध का स्तर भी शानदार पाया जाता है।

ये भी पढ़ें:
कहीं आप की गेहूं की फसल भी इस रोग से प्रभावित तो नहीं हो रही, लक्षणों पर जरूर दें ध्यान

गेहूं की एचडी-3385 किस्म

गेहूं की एचडी-3385 किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा दिल्ली के द्वारा तैयार किया गया है, जो 123-147 दिन में पककर तैयार हो जाती है। एचडी-3385 किस्म की औसत पैदावार 62.1 क्विंटल/हेक्टेयर है एवं अधिकतम उत्पादन 73.4 क्विंटल/हेक्टेयर है। एचडी-3385 किस्म में विभिन्न प्रकार के रोग नहीं लगते हैं। दरअसल, यह किस्म धारीदार रतुआ, पत्ती रतुआ, करनाल बंट, पाउडरी मिल्ड्यू गेहूं के झुलसा रोग और फ्लैग स्मट रोग के प्रतिरोधी हैं। साथ ही, गेहूं की यह किस्म उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी मैदानी इलाकों के लिए उपयुक्त है।

गेहूं की किस्म HI 1634 (पूसा अहिल्या)/ और HI 1634 (पूसा अहिल्या)

गेहूं की किस्म HI 1634 (पूसा अहिल्या) को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान इंदौर द्वारा तैयार किया गया है। भारत के मध्य क्षेत्र गुजरात, छत्तीसगढ़,मध्य प्रदेश, राजस्थान (कोटा और उदयपुर संभाग) और उत्तर प्रदेश (झांसी संभाग) के किसान सुगमता से इस किस्म की खेती कर सकते हैं। हालांकि, अन्य प्रदेशों में भी इस किस्म का उत्पादन होता है। यदि औसत उत्पादन क्षमता की बात की जाए तो 51.6 क्विंटल/ हेक्टेयर है। वहीं, अधिकतम उत्पादन क्षमता 70.6 क्विंटल/हेक्टेयर है।